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कारोबारियों को एक और राहत देने जा रही है मोदी सरकार, जानिए

नई दिल्ली: देश में निल जीएसटी रिटर्न भरने वाले कारोबारियों के लिए मोदी सरकार जल्द एक और राहत का ऐलान कर सकती है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि अब इन कारोबारियों को हर तिमाही डिक्लेरेशन देने की व्यवस्था भी एसएमएस के जरिए कर दी जाएगी। आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 22 लाख कारोबारियों को इस नई व्यवस्था से सीधे लाभ मिलेगा। अभी जीएसटीआर-1 के लिए जीएसटी नेटवर्क पोर्टल पर लॉगिन करना जरूरी है। इसके लिए कारोबारियों को सीए की मदद भी लेनी पड़ती है। नई व्यवस्था के तहत उन्हें सीए की मदद नहीं लेनी पड़ेगी। 

कोरोना संकट के समय में कारोबार की मौजूदा हालत को देखते हुए निल जीएसटी देनदारी के दायरे में कई और कारोबारियों के आने की भी आशंका जताई जा है। यही वजह है कि सरकार इस व्यवस्थ को और तेजी से लागू करने जा रही है ताकि उनकी मुश्किलों को हल किया जा सके। सरकार ने इसी हफ्ते करोबारियों को एसएमएस के जरिए मासिक जीएसटीआर-3बी फॉर्म भरने की सुविधा शुरू की थी, जिसमें अपने जीएसटी नंबर के साथ निल लिखकर 14409 नंबर पर भेजना होता है और वन टाइम पासवर्ड के जरिए रिटर्न दाखिल होने की पुष्टि करनी होती है। ऐसी ही व्यवस्था तिमाही डिक्लेरेशन के लिए की जानी है। इससे करीब 22 लाख रजिस्टर्ड करदाताओं को निल जीएसटी दाखिल करने में फायदा होगा।  माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत 1.22 करोड़ इकाइयां पंजीकृत हैं।

कंपनियों के निदेशकों को दिए जाने वाले वेतन पर नहीं लगेगा जीएसटी

केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने बुधवार को कहा कि कंपनियों के कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे निदेशकों को दिए जाने वाले वेतन पर जीएसटी नहीं लगाया जायेगा।सीबीआईसी को यह स्पष्टीकरण राजस्थान अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) का अप्रैल में एक आदेश आने के बाद जारी करना पड़ा। एएआर ने इस आदेश में कहा कि कंपनियों को उनके निदेशकों को दिये जाने वाले मेहनताने पर जीएसटी का भुगतान करना होगा। 

सीबीआईसी ने कहा है कि जहां कंपनी के निदेशकों का मेहनताना उन्हें पेशेवर की फीस के तौर पर दिया जाता है, वेतन के तौर नहीं, ऐसे मामलों में ‘रिवर्स चार्ज के आधार पर जीएसटी लगाया जाएगा (क्रेता खुद कर लगा कर उसे सरकार करता है।)   सीबीआईसी ने कहा है कि जहां निदेशकों के पारितोषिक को कंपनी के खातों में ‘वेतन के तौर पर घोषित किया गया है और इस पर आयकर कानूनल की धारा 192 के तहत टीडीएस काटा जाता है। निदेशकों को ऐसे भुगतान कर योग्य नहीं है। इसे केनद्रीय जीएसटी कानून 2017 की अनुसूची- तीन के तहत एक कर्मचारी द्वारा अपने नियोक्ता के लिये दी गई सेवाओं के तौर पर कर योग्य नहीं माना जा सकता है। 

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