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घुसपैठ में आखिर कैसे कामयाब होते हैं आतंकी ?

infiltration1-20-09-2016-1474347365_storyimageभारत के तमाम सुरक्षा प्रबंधों के बावजूद आतंकी घुसपैठ में कैसे कामयाब हो रहे हैं? इस वर्ष जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ में इजाफा हुआ है। इसके पीछे कई कारण सामने आए हैं। आतंकी कई बार वहां की भौगोलिक परिस्थितियों का फायदा उठाते हैं तो कुछ मामलों में खुफिया तंत्र पर भी सवाल उठे हैं। पाकिस्तान की ओर से की जाने वाली गोलीबारी की आड़ में भी आतंकी भारतीय सीमा में दाखिल होने में कामयाब रहते हैं। पेश है घुसपैठ के कारणों, रास्तों और सरकार की तैयारियों पर एक रिपोर्ट –

इन रास्तों से घुसपैठ

कुपवाड़ा, बांदीपोर और बारामुला
-काबोल गली, सरदारी, सोनार, केल, रत्ता पानी, शारदी, तेजियान, डुंडियाल, अथ्मुकम, कटवाड़ा, जूरा और लीपा घाटी के रास्ते
-लोकुट बंगुस और बोड बंगुस होते हुए जंगल के रास्ते घुसपैठ
-काजीनाग के पटनी बहक से बारामुला के राफियाबाद जिले की ओर
-कमलकोट के रास्ते लाछीपुरा, नाम्बला के जंगलों से घरकोट
-फतेहवाली बहक से छोरकुद

ये मार्ग भी

गुरेज : सामने पीओके का स्कार्दू इलाका है। यहां पर आतंकियों का लॉन्चिंग पैड और कैंप भी है।
माछिल : पाकिस्तान का केल इलाका पहाड़ी और पथरीला है। घने जंगल होने से घुसपैठ काफी आसान।
केरन : पाक के चकोठी इलाके के ठीक सामने उरी सेक्टर है। इस क्षेत्र में आतंकी कैंप हैं।

सेना की मुश्किलें

1. बाड़ रहित सीमा

– 350 किलोमीटर एलओसी कश्मीर में
– 40-50 जगह ऐसी जहां से घुसपैठ आसान
-130 प्वाइंट अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी ऐसे, जहां बाड़ लगाना संभव नहीं
सीमा से जुड़ी नदियों और नालों पर बाड़ बनाना संभव नहीं है। इसका फायदा आतंकी उठाते हैं। सांबा, गुरदासपुर और पठानकोट में आतंकी इसी रास्ते से घुसे थे।

2. पाक से मदद

-152 बार संघर्ष विराम उल्लंघन कर चुका इस साल पाक एलओसी पर
– 253 मामले अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी
आतंकियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने के लिए पाक सेना की भूमिका भी अहम रहती है। सीमा पार से गोलीबारी की आड़ में भारतीय सेना का ध्यान बंटाया जाता है ताकि आतंकी मौका देखकर भारत में घुस सकें।

3. जासूसी

-7 पाक नागरिक जासूसी करते पकड़े गए पिछले चार साल में
जासूस भी घुसपैठ में आतंकियों के लिए मददगार रहे हैं। सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी लीक करने के साथ-साथ वे इसकी जानकारी भी मुहैया कराते हैं कि सीमा पर कहां सुरक्षा व्यवस्था कमजोर है।

4. बर्फबारी

-350-400 किलोमीटर बाड़ हर साल सर्दियों में तबाह हो जाती है
कश्मीर में हर साल होने वाली बर्फबारी से भी आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसने का मौका मिल जाता है। बहुत ज्यादा बर्फबारी की वजह से कई जगह से बाड़ टूट जाती है और खराब मौसम में सुरक्षा करना भी आसान नहीं होता।

सरकार की तैयारियां

– सीसीटीवी कैमरे, थर्मल इमेज डिवाइस, नाइट विजन डिवाइस, सर्विलांस रडार, अंडरग्राउंड मॉनिटरिंग सेंसर और लेजर वॉल लगाने की तैयारी।
-130 नदी क्षेत्र (अंतरराष्ट्रीय सीमा) जहां बाड़ नहीं लगाई जा सकती, वहां लेजर की दीवारें बनाई जाएंगी।
– जम्मू और पंजाब में पायलट प्रोजेक्ट शुरू
-1.50 लाख से ज्यादा फ्लडलाइट लगाई गईं ताकि रोशनी में संदिग्ध गतिविधि पकड़ी जा सके
-5-6 किलोमीटर पर कंट्रोल रूम स्थापित करने की योजना
– एलओसी पर ऐसी बाड़ लगाने की योजना, जो बर्फबारी में धवस्त नहीं होंगी।

घुसपैठ दोगुनी

साल सफलता (प्रतिशत में)
2014 29.28
2015 27.27
2016 64.29 (1 जून, 2016 तक)

 
 
 

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