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पत्रकार सुसाइड मामले में Ex CPS दोषी करार, 2 मार्च को सुनाई जाएगी सजा

अंबाला। बरसों पहले अंबाला जिले में नारायणगढ़ के पत्रकार पंकज खन्ना सुसाइड केस में मंगलवार को एडिशनल सेशन जज संजीव आर्य की अदालत ने पूर्व चीफ पार्लियामेंटरी सेक्रेटरी रामकिशन गुर्जर सहित 3 लोगों को कोर्ट ने दोषी करार दे दिया है। 2 मार्च को अगली सुनवाई में कोर्ट दोषियों को सजा सुनाएगी। फिलहाल अदालत के आदेश पर पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भैज दिया है। सुसाइड नोट और मरने से पहले पुलिस स्टेटमेंट में लगाए थे ये आरोप…
पत्रकार सुसाइड मामले में Ex CPS दोषी करार, 2 मार्च को सुनाई जाएगी सजा
 
– मामला बरसों पुराना है, जब 10 जून 2009 को नारायणगढ़ के पत्रकार पंकज खन्ना ने आत्महत्या कर ली थी। मरने से पूर्व पंकज ने अपने लिखे सुसाइड नोट में तत्कालीन विधायक रामकिशन गुर्जर, अजीत व विजय कुमार को जिम्मेदार ठहराया था।
– 27 वर्षीय पंकज खन्ना उर्फ सन्नी खन्ना उर्फ सन्नी पंकज नामक यह पत्रकार स्थानीय हिंदी मैग्जीन ‘क्राइम तहकीकात’ में काम करता था।
– पंकज के पिता यशपाल खन्ना भी पत्रकारिता से जुड़े हुए थे, जिनकी वर्ष 2012 में मौत हो गई थी तो इसका फायदा राम किशन गुर्जर को सुप्रीम कोर्ट से मिला था।
– पंकज ने लिखा था कि विधायक गुर्जर ने उसके खिलाफ झूठा केस दर्ज कराने के बाद थाने में दो बार जमकर पिटवाया। पंकज के आत्महत्या पत्र के मुताबिक वो घर की हुई बदनामी और इज्जत खराब होने के कारण जान दे रहा है।
 
इसलिए बचा रही थी पुलिस
– बाद में पुलिस ने सुसाइड नोट भी बरामद कर लिया, लेकिन पुलिस प्रभावशाली पदों पर होने के चलते आरोपियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी करती रही।
– स्थानीय लोगों और मीडियाकर्मियों के दबाव के चलते पुलिस को विधायक रामकिशन के खिलाफ धारा 306 में रिपोर्ट दर्ज करना पड़ा। हरियाणा पुलिस ने पंकज के शव का पोस्टमार्टम चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में कराया।
– बताया जा रहा है कि पंकज के आत्महत्या के बाद उनके परिजन जब सूचना देने व रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंचे तो पुलिस वालों ने उनसे धक्का-मुक्की करके भगा दिया। पंकज के परिजनों का कहना था कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे भी पंकज की तरह जान देने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
 
इकलौता भाई और पिता खोने के बावजूद नहीं मानी हार
पहले इकलौता भाई और बाद में पिता की मौत से हताश होने के बावजूद बहन प्रीति खन्ना ने हार नहीं मानी। प्रीति ने चुनौतियों का सामना किया और रामकिशन गुर्जर के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। वर्ष 2009 में भाई पंकज की मौत का उसके कैरियर पर असर पड़ा। पिछले सात साल से वह इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी।
– करीब एक साल के बाद अक्टूबर 2016 में अदालत ने इस केस में मुकरे गवाहों को अदालत ने दोबारा तलब किया था।

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