बड़ी खुशखबर: दो साल में 7.5 फीसदी विकास दर छू सकती भारत
हालांकि ये भी आशंका जताई कि घरेलू जोखिम और गैर अनुकूल वैश्विक माहौल मेक्रो-इकोनॉमिक संभावनाओं को प्रभवित कर सकते हैं। विश्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2017-18 में 6.7 फीसदी की विकास दर हासिल की थी, जिसमें हालिया महीनों के दौरान अहम तेजी भी शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी को लागू करना और बैंकों का रि-कैपिटलाइजेशन करना भारत के विकास को मजबूत कर रहा है और इसके आगे भी तेजी पकड़े रहने की संभावना है।
इन क्षेत्रों में सुधार के आसार
-8.8 फीसदी की विकास दर पकड़ सकता है दूसरे छमाही में मेन्युफेक्चरिंग सेक्टर
-2.7 फीसदी की दर ही थी निर्माण क्षेत्र की पहले छमाही के दौरान
-7.7 फीसदी हो सकती है सेवा क्षेत्र की दर, जबकि कृषि में भी होगा सुधार
-11.7 फीसदी पहुंच सकती है दूसरे छमाही में सकल नियत पूंजी निर्माण की दर
-3.4 फीसदी ही थी ये दर पहले छमाही के दौरान मांग के पक्ष में
-07 फीसदी तक पहुंचकर खपत दर फिर से विकास में अहम भूमिका निभाएगी
ये है चिंता की बात
विकास दर में तेजी से आम आदमी को लाभ
– शेयर मार्केट में विदेशी निवेश आने से मोटा रिटर्न मिलता है
– कंपनियों को ज्यादा पैसा उपलब्ध होने से नई परियोजनाएं शुरू होती हैं
– नई परियोजनाएं शुरू होने के कारण नई नौकरियों के मौके बनते हैं
– कंपनियों का आर्थिक लाभ बढ़ने से कर्मचारियों को अच्छी वेतन वृद्धि मिलती है
– अच्छी वेतन वृद्धि से आम आदमी की खर्च क्षमता बढ़ती है, जिसका लाभ बाजार में व्यापार को मिलता है