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राफेल लड़ाकू विमान सौदे में वाड़्रा की कंपनी को बिचौलिए के तौर पर स्वीकार नहीं किए जाने से संप्रग सरकार ने रद्द किया सौदा

नई दिल्ली : राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर देश में सियासत गरमागई है। इस विषय को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए हैं। कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी को भ्रष्ट बताने से भी पीछे नहीं हट रही है, भाजपा ने एक बड़ा बयान दिया है कि राफेल सौदे में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का बड़ा हाथ था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राफेल विमान सौदे के विवाद में एक नया मोड़ लाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई व कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा को घसीटा। भाजपा ने कहा कि फ्रांस के साथ लड़ाकू जेट विमान सौदे में वाड़्रा की कंपनी को बिचौलिए के तौर पर स्वीकार नहीं किए जाने से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने विमान सौदा रद्द कर दिया। केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि आपने संजय भंडारी का नाम अवश्य सुना होगा, जो रक्षा सौदे में बिचौलिए का काम करते हैं। उनका नाम पहले इस बात को लेकर प्रकाश में आया कि उन्होंने किस प्रकार वाड्रा के लिए हवाई टिकट का इंतजाम किया था और उन्होंने किस प्रकार अपने घर के आंतरिक सज्जा का काम करवाया था। भाजपा नेता ने दावा किया कि वाड्रा की कंपनी रक्षा सौदे में बिचौलिए का काम करती थी। उन्होंने कहा कि वे (वाड्रा और भंडारी) कई रक्षा एक्स्पो में खुद को बतौरत बिचौलिया पेश करते थे। तत्कालीन सरकार चाहती थी कि फ्रांस की कंपनी को इसको (वाड्रा की कंपनी) बिचौलिए के रूप में स्वीकार करना चाहिए। लेकिन इस पर बात नहीं बनी इसलिए दसाॅल्ट के साथ सौदा रद्द कर दिया गया। उन्होंने कहा कि जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूछा कि राफेल सौदा क्यों रद्द किया गया तो तत्कालीन सरकार और कांग्रेस ने इस पर चुप्पी साध ली। उन्होंने बताया कि इसीलिए मैं आज इसका जवाब दे रहा हूं कि इसे वाड्रा के वाणिज्यिक हितों को लेकर रद्द किया गया। लग्जरी कार आयात करने वाला संजय भंडारी बाद में रक्षा सौदों का एक बड़ा बिचौलिया बन गया था और विदेशी कंपनियों से सम्पर्क करता था। आईबी ने भंडारी के एक फोन नंबर की छह महीने तक कॉल डिटेल रिकॉर्ड हासिल करने पर पता चला कि वह वाड्रा सहित कई प्रभावशाली लोगों के नियमित संपर्क में बना हुआ था। आईबी के अनुसार भंडारी के मोबाइल फोन से रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ब्लू ब्रिज ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के रजिस्टर्ड नंबर पर कई बार फोन किए। आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक यह नंबर पहले वाड्रा ही इस्तेमाल करते थे।

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