जीवनशैली

ये मार्कर नहीं आम, सर्वाइकल कैंसर का पता लगाना इसका काम

सर्वाइकल कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो महिलाओं में आमतौर पर पायी जाती है. यह बीमारी महिलाओं के गर्भ में कोशिकाओं के बेकायदा बढ़ने के कारण हो जाती है. जिन स्त्रियों का नर्वस सिस्टम कमजोर होता है या ऑर्गन ट्रांसप्लांट होता है, उनको यह बीमारी होने के ज्यादा संभावना रहती है.

कई बार इस बीमारी का पता लगने में बहुत देर हो जाती है जिसके कारण जान जाने का खतरा भी बना रहता है. लेकिन अब इस समस्या का भी समाधान निकल आया है. अब सर्वाइकल कैंसर की जांच के ना बहुत दिन लगेंगे और ना ही आपको बार-बार क्लिनिक के चक्कर काटने पड़ेंगे. अब एक मार्कर की मदद से बस पांच मिनट में यह बताया जा सकेगा की बीमारी है या नहीं.

IIT कानपुर और GSVM मेडिकल कॉलेज के विभागों ने मिलकर एक मार्कर (फ्लोरेसेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी डिवाइस) का आविष्कार किया है. आविष्कार करनेवाले लोगों ने कहा है कि इस मार्कर से बायोप्सी पर बढ़ती निर्भरता को कंट्रोल किया जा सकेगा। इस उपकरण से कैंसर की स्टेज भी पता की जा सकेगी.

इस उपकरण की विशेषता यह है कि इसकी जांच के दौरान रोगी को किसी भी तरह का कष्ट नही होगा. यह यंत्र फ्लोरेसेंस तकनीक के इस्तेमाल पर आधारित है और इसके तकरीबन 200 से ज्यादा परिक्षण हो चुके हैं. इसके रिजल्ट्स को पुख्ता करने के लिए अब इसपर मानव जांच करने की तैयारी की जा रही है.

कितने साल से चल रही है जांच ?

IIT कानपुर के भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. असिमा प्रधान ने एस मार्कर के बारे में कहा कि इस यंत्र पर पिछले पांच साल से काम किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया की इस डिवाइस की मदद से कैंसर का शुरूआती स्टेज में पता करके जल्द से जल्द इलाज करवाया जा सकता है.

आखिर क्या रह गया है बाकी ?

शोधकर्ता इस यंत्र की जांच के आखिरी पड़ाव तक पहुंच चुके हैं. अब बस इसकी मानव जांच होना बाकी है. इस जांच के लिए एक ख़ास लैब बनाई गयी है. इस लैब में स्त्रियों की अनुमति लेकर उनपर रिसर्च की जाएगी.

आज तक कुछ यूं होती आई है कैंसर की जांच

सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए अभी तक कोल्पोस्कोपी, स्पेक्यूलोस्कोपी, जेनेटिक जांच, विजुअल इंसपेक्शन, बायोप्सी आदि तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. अभी तक की जाने वाली जांच में रोगियों को दर्द का सामना करना पड़ता है और कैंसर की सही स्टेज का भी पता नहीं चलता है. लेकिन इस मार्कर की सहायता से गलती और दर्द, दोनों के चांसेस कम होते नजर आएंगे.

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