MP : लॉन्च होने के एक साल बाद महुआ शराब की बिक्री 20 लाख लीटर की हुई
भोपाल : मध्यप्रदेश की सरकार बहुचर्चित हेरिटेज शराब महुआ शराब पीने वालों को लुभाने में विफल रही है। कम से कम महुआ शराब की बिक्री से तो यही पता चलता है कि लॉन्च होने के एक साल बाद ही करीब 20 लाख लीटर महुआ शराब बिक गई। मध्य प्रदेश में आदिवासी सशक्तिकरण अभियान के तहत महुआ हेरिटेज शराब लॉन्च की गई। अब, शराब पीने वालों की बढ़ती उदासीनता को देखते हुए, राज्य आबकारी विभाग एक बड़ी रणनीति पर काम कर रही है, जिसमें सभी बार को महुआ हेरिटेज शराब रखना अनिवार्य होगा।
एमपी सरकार गोवा में फेनी की तरह ही महुआ शराब को मध्यप्रदेश के साथ ही दूसरे राज्यों में भी लोकप्रिय बनाने की तैयारी में जुटी है। इसके लिए निजी एजेंसियों को भी शामिल करेगी। मध्यप्रदेश के आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने बताया कि महुआ शराब की पहुंच बढ़ाने के लिए निजी कंपनियों को जोड़ने के लिए हाल ही में एक बैठक बुलाई गई थी। जरूरत है हेरिटेज शराब के लिए माहौल बनाने की। लोगों को महुआ शराब बनते हुए लाइव देखने जैसे विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि महुआ के संवर्धन की रणनीति को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। अगस्त 2022 में राज्य सरकार ने हेरिटेज शराब को बढ़ावा देने के तहत महुआ शराब के उत्पादन को मंजूरी दी थी। जनवरी 2023 में सरकार ने एमपी हेरिटेज शराब नियमों को अधिसूचित किया। डिंडोरी और अलीराजपुर में दो स्वयं सहायता समूहों को इसके उत्पादन के लिए सरकार द्वारा छूट दी गई थी। आदिवासी सशक्तिकरण अभियान के तहत महुआ शराब स्थानीय स्तर पर बनाई जाती है।
राज्य सरकार ने भी उत्पादन इकाई स्थापित करने में सहायता की। पुणे स्थित एक संस्थान ने दो स्वयं सहायता समूहों को उत्पादन प्रशिक्षण प्रदान किया। अगस्त 2023 में महुआ शराब लॉन्च की गई। लॉन्च से पहले प्रमोशन के तौर पर एमपी टूरिज्म के बार में एक पैग महुआ शराब मुफ्त में दी गई थी लेकिन यह शराब प्रेमियों को आकर्षित नहीं कर पाई। लॉन्च के बाद इसे शराब बेचने वाली दुकानों और राज्य पर्यटन निगम के बार में उपलब्ध कराया गया।
मोंड ब्रांड नाम से महुआ शराब 180 मिली और 750 मिली की बोतल में पेश की गई। 750 मिली की बोतल की कीमत 800 रुपए और 180 मिली की बोतल की कीमत 200 रुपए है। सरकार ने आदिवासी आबादी के लाभ के लिए राज्य में महुआ शराब बनाने का एक समर्पित पाठ्यक्रम भी शुरू किया है।
हालांकि, ये सभी कदम शराब ब्रांड के लिए एक अच्छा बाजार पाने में विफल रहे और सरकार को अब लगता है कि उसने अपना काम कर दिया है, लेकिन जरूरत इस विषय में विशेषज्ञता रखने वाली निजी एजेंसियों को शामिल करके पेशेवर तरीके से विरासत शराब की ब्रांडिंग करने की है।