नई दिल्ली/गढ़चिरोली. जहां एक तरफ महाराष्ट्र (Maharashtra) के गढ़चिरोली (Gadchiroli) घने जंगलों, पहाड़ियों, नदियों और प्राकृतिक गुफाओं से घिरा हुआ है। वहीं यहां आज भी नेहातर इलाज और स्वास्थ्य सेवाएं अब भी स्थानीय लोगों के लिए दूर की कौड़ी साबित हो रही है।
यहां आज भी मरीजों को चारपाई पर डालकर कीचड़ भरे और पहाड़ी इलाकों से गुज़रते हुए कई लोग आते हैं। वहीं यहां के 60 से 80 किलोमीटर के दायरे में महाराष्ट्र की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के कुछ गांवों में भी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। वहीं उचित सड़क संपर्क की कमी और वन क्षेत्र होने के चलते, लोगों को PHC तक पहुंचने के लिए पैदल चलना पड़ता है।
ऐसे में अब गढ़चिरौली जिले के दूर-दराज के गांवों के लिए बाइक एम्बुलेंस सुविधा शुरू की गई है इस ख़ास परियोजना के अधिकारी शुभम गुप्ता ने बताया कि गढ़चिरौली में आज भी ऐसे 122 गांव हैं जो मानसून के दौरान कनेक्टिविटी की समस्या का सामना करते हैं। वहीं पक्की सड़कों के अभाव के चलते अब हमने गांवों में बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की। मरीजों को स्थिरता प्रदान करने के लिए हमारे पास स्ट्रेचर भी हैं।
वहीं मामले पर डॉ. भूषण चौधरी, चिकित्सा अधिकारी, भामरागढ़ ने बताया कि हमारी अवधारणा सुदूर गांवों को एम्बुलेंस प्रदान करना है जो बहित दूर-दराज में स्थित हैं और जहां सड़क और नेटवर्क कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है। हमने बाइक एंबुलेंस के लिए ड्राइवरों को नियुक्त किया है जो आशा कार्यकर्ताओं के साथ यहां हम मिलकर काम करते हैं।
वहीं मोटरसाइकिल एंबुलेंस रोगियों और गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को दूरदराज के क्षेत्रों से निकटतम प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) तक पहुंचाती है और क्षेत्र के लोगों के लिए जीवन रक्षक बनकर उभरी है। इन ख़ास बाइक एम्बुलेंसों को रोगी के आराम के लिए एक साइड-कैरिज के साथ फ़िट किया जाता है और आपातकालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए दवाओं और एक कार्यात्मक प्राथमिक चिकित्सा किट से लैस किया जाता है।प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने में कुशल ड्राइवरों द्वारा इस ख़ास बीके एंबुलेंस का संचालन किया जाता है।