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जनगणना के फंड में तीन गुना किया इजाफा,1564 करोड़ रुपये होंगे आवंटित

नईदिल्ली : केंद्रीय बजट 2023-24 में जनगणना 2021 और इससे जुड़ी कवायद के लिए कुल 1,564 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। कोरोना महामारी को लेकर जनगणना की गतिविधियां तीन साल से अधिक समय से रुकी हुई हैं। जनगणना की कवायद के लिए पिछले साल के बजट अनुमानों में 3,676 करोड़ रुपये की तुलना में आवंटन नई राशि आधे से भी कम है। मगर पिछले साल जनगणना के लिए आवंटित की गई राशि को 3,676 से कम करके 552.65 करोड़ रुपये कर दिया गया। यह गृह मंत्रालय (एमएचए) को 1.96 लाख करोड़ रुपये के कुल बजट आवंटन का हिस्सा है।

केंद्र ने बार-बार दावा किया है कि कोविड-19 महामारी के कारण जनगणना में देरी हुई है। जनगणना और इससे जुड़ी कवायद को पहले 31 दिसंबर, 2020 से बढ़ाकर 21 दिसंबर, 2021 कर दिया गया था और फिर दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया।

जनगणना की कवायद के मद्देनजर विभिन्न राज्यों में अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के दौरान 45 दिनों की अवधि में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अपडेट के साथ-साथ, जनगणना 2021 के पहले चरण में हाउस-लिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना का फील्ड वर्क किया जाना था।

केंद्रशासित प्रदेश, उनकी स्थानीय स्थितियों और अन्य प्राथमिकताओं के आधार पर मकान की लिस्टिंग के बाद 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच जनसंख्या गणना की जानी थी। मगर कोरोना वायरस महामारी के चलते ये प्लान अमल में नहीं आया।

पिछले महीने, भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जून के अंत तक प्रशासनिक सीमाओं में बदलाव करने की तारीख बढ़ाने के बारे में बताया था। नियमों के अनुसार, प्रशासनिक सीमाओं के जमने के तीन महीने बाद ही जनगणना की कवायद शुरू हो सकती है।

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