बलौदा: छत्तीसगढ़ का बलौदा बाजार रविवार को हिंसा की आग में जल उठा. जमकर पथराव और आगजनी हुई. सतनामी समाज के लोगों ने खूब बवाल काटा. बेकाबू भीड़ ने कलेक्टर भवन में आग लगा दी. पास में ही जिला पंचायत भवन और तहसील ऑफिस भी था, यहां भी तोड़फोड़ कर आगजनी की गई. 100 से अधिक गाड़ियां जला दी गईं. पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की तो उन्हें भी निशाना बनाया गया. पथराव में कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.
प्रदर्शनकारियों के सामने पुलिस प्रशासन पूरी तरह से लाचार नजर आया. प्रदर्शनकारी एक-एक कर गाड़ियों में आग लगा रहे थे. सरकारी संपत्ति को ध्वस्त कर रहे थे. कार्यालयों में घुसकर दस्तावेजों को फाड़ रहे थे, लेकिन अधिकतर पुलिसकर्मी अपनी जान बचाने में लगे हुए थे. जो पुलिसकर्मी प्रदर्शनकारियों के सामने डटे थे, उन पर पत्थरों की बारिश हो रही थी.
ऐसा नहीं है कि सतनामी समाज के आंदोलन की जानकारी पुलिस को नहीं थी. बलौदा बाजार के एसपी सदानंद कुमार खुद मानते हैं कि सतनामियों ने पुलिस को लिखित में प्रदर्शन की जानकारी दी थी. हालांकि, एसपी ये भी बताते हैं कि पुलिस को ये बताया गया था कि आंदोलन पूरी तरीके से शांतिपूर्ण तरीके से होगा. बलौदा बाजार में कलेक्टर भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे लोगों की संख्या 5000 से ज्यादा थी. वहीं पुलिसकर्मियों की संख्या लगभग सवा सौ के करीब थी. भीड़ बैरिकेड को हटाकर आगे बढ़ने लगी, तो पुलिसकर्मी उन्हें रोकने के लिए आगे बढ़े. लेकिन पुलिसकर्मियों को धक्का देते हुए प्रदर्शनकारी कलेक्ट्रेट भवन की ओर बढ़ गए.
प्रदर्शनकारी दोपहर एक बजे से ही जुटना शुरू हो गए थे. दोपहर तीन बजे शहर के दशहरा मैदान से होते हुए प्रदर्शनकारी साढ़े तीन बजे तक कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंच गए. इसके बाद हंगामा मचाना शुरू कर गिया. सवा चार बजे तक कलक्ट्रेट भवन और एसपी ऑफिस को आग के हवाले कर दिया. सूत्रों के मुताबिक, इसकी प्लानिंग पहले से ही हो रही थी. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को रैली में हिस्सा लेने के लिए कहा गया गया था. इस घटना ने पुलिस प्रशासन के साथ-साथ इंटेलिजेंस सिस्टम की भी पोल खोल कर रख दी है.
जब कार्यालय जल रहे थे, तो आग बुझाने के इंतजाम भी फेल नजर आए. क्योंकि भीड़ ने सबसे पहले दमकल वाहनों को निशाना बनाया. कार्यालय के बाहर खड़ीं दमकल की गाड़ियों में सबसे पहले आग लगाई. यही वजह रहा कि आग बुझाने में देरी हुई. हिंसा में लगभग 25 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. अब शहर में धारा 144 लागू है. सीएम विष्णु देव साय ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से इस घटना पर रिपोर्ट मांगी है.
बलौदा बाजार के महकोनी में संत अमरदास की तपोभूमि है. यहां पर असामाजिक तत्वों ने 15 मई को सतनामी समाज के पवित्र प्रतीक जैतखाम को काट दिया था. जैतखाम सतनामी समाज का एक पवित्र चिह्न है, जिसकी पूजा होती है. इसके ऊपर सफेद रंग की ध्वजा फहराई जाती है. सतनामी समाज ने इसकी जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से कराने की मांग की है. घटना के विरोध में सतनामियों ने 10 जून को बलौदा बाजार में आंदोलन करने का निर्णय लिया था.