अगर मुख़्तार अंसारी गैंगस्टर नहीं है, तो देश में कोई भी गैंगस्टर नहीं है – हाई कोर्ट
लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि मुख्तार अंसारी आपराधिक गैंगस्टर नहीं है, तो फिर देश में कोई गैंगस्टर नहीं हो सकता। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने आजमगढ़ में मजदूरों पर अंधाधुंध गोलीबारी करने को लेकर दर्ज गैंगस्टर एक्ट के केस में चर्चित माफिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि इससे पूर्व भी इस कोर्ट ने मुख्तार की एक अन्य जमानत अर्जी को खारिज करते हुए कहा था कि मुख्तार पर हत्या, हत्या की कोशिश, लूट, डकैती, रंगदारी, अपहरण, फिरौती जैसे 58 गंभीर मुकदमे हैं।
उत्तर भारत में उसकी छवि रॉबिन हुड की है। वह दुर्दांत और आदतन अपराधी है, जो 1986 से अपराध जगत में सक्रिय है, मगर आज तक उसे एक भी मामले में सजा नहीं हो पाई है। यह हमारी न्याय व्यवस्था के लिए एक चुनौती है। यदि वह आपराधिक गैंगस्टर नहीं है, तो फिर देश में कोई अन्य गैंगस्टर नहीं हो सकता। अदालत ने कहा है कि 6 फरवरी 2014 को हुआ मौजूदा अपराध केवल आम लोगों में दहशत फैलाने के लिए किया गया। ताकि आरोपित और उसके गैंग के सदस्यों के अतिरिक्त अन्य कोई ठेका लेने की हिम्मत न कर सके, इसलिए उसके गैंग के सदस्यों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें एक बेकसूर मजदूर की मौत हो गई और अन्य जख्मी हो गए।
मुख्तार की जमानत अर्जी पर जस्टिस डीके सिंह ने सुनवाई करते हुए टिप्पणी की है कि गंभीर धाराओं में 58 केस होने के बाद भी अब तक मुख्तार को किसी भी मामले में सजा नहीं हो पाई है, क्योंकि उसके डर से कोई गवाह सामने नहीं आता, न ही कोई सबूत देने आता है। यह हमारी न्याय व्यवस्था के लिए एक चुनौती है। जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी के वकील उपेंद्र उपाध्याय ने अदालत से अनुरोध किया कि वह अपनी अर्जी वापस लेना चाहते हैं, इसलिए इस जमानत अर्जी को वापस लिए जाने के आधार पर खारिज कर दिया जाए। मगर, मुख्तार ने यह अंडरटेकिंग नहीं दी की अर्जी वापस लेने के बाद वह दूसरी जमानत अर्जी दायर नहीं करेंगे।
बता दें कि, मुख़्तार अंसारी के कांग्रेस के साथ पुराने पारिवारिक संबंध रहे हैं, गैंगस्टर के दादा मुख़्तार अहमद अंसारी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। और 10 साल तक देश के उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी, मुख़्तार के चाचा हैं। बता दें कि, हामिद अंसारी पर भी उपराष्ट्रपति रहते समय RAW एजेंट्स की जान खतरे में डालने के आरोप लगे थे। कांग्रेस से इन्ही संबंधों का नतीजा था कि, पंजाब की कांग्रेस सरकार ने मुख़्तार को अपनी जेल में रोके रखने के लिए हर संभव कोशिश की थी। बाद में पता चला था कि, पंजाब सरकार मुख़्तार को जेल में VVIP ट्रीटमेंट दे रही थी।