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जीना यहाँ मरना यहाँ इसके सिवा जाना कहाँ….

मनीष ओझा

ऋषि कपूर पर विशेष (स्मृति शेष)

स्तम्भ: फिल्म बॉबी का एक बड़ा मशहूर गाना ‘मैं शायर तो नहीं’ शूट होना था, सेट लगा हुआ था हीरो आता है और फिल्म के चीफ असिस्टेंट राहुल रबेल से पूछता है आज के गाना शूट का कोरियोग्राफर कौन है?

रबेल कहते हैं कोई नहीं.. राज साब ने मना किया है। हीरो दौड़ता हुआ फिल्म निर्देशक राज कपूर साब के पास जाता है और कहता है ‘साहब ये आज गाना शूट है और कोई कोरियोग्राफर नहीं रखा गया?’ तो राज साब ने कहाँ–हम्म मैंने मना किया है, तुम किसी की कॉपी मत करो अपनी आइडेंटिटी क्रीयेट करो’ हीरो ने पिता और निर्देशक राजकपूर की बात मानकर ऐसी पहचान बनायीं कि हिन्दी सिनेमा का दर्शक उसकी हर अदा का दीवाना हो गया।

फिल्म बॉबी से एज अ हीरो फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत करने वाला यह अभिनेता कोई और नहीं सुपरस्टार ऋषि कपूर थे। ऋषि जी ने असल मायने में फिल्मी नायक नायिकाओं को मर्द- औरत से बदलकर लड़के-लड़की का रुतबा दिलाया था। दरअसल बॉबी बनने से पहले हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में जो हीरो हेरोइंस थे वे उम्रदराज ही हुआ करते थे। लेकिन राजकपूर ने ऋषि कपूर को लांच कर इस पैटर्न को तोड़ दिया था और अब फिल्मों में असल टीन जोड़ी बनने लगी थी।
शरीर से गोल मटोल,बदन दूधिया, स्वेत रंग हाथों में गिटार लेकर जब ऋषि कपूर ने स्क्रीन पर गाना गया तो, दर्शकों को एक नया अनुभव मिला।

जिस वक़्त हीरो मर्दों वाली छवि लेकर परदे पर आता था और तमाम गुंडों को ढेर कर देता था उस वक़्त “खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों” गाने पर रोमांस करते हुए जब ऋषि कपूर परदे पर आते तो जवां दिलों की धडकनें बढ़ जाती थीं। ऋषि कपूर उर्फ़ चिंटू ने अपना अलग एक पैटर्न बनाया था।

ऋषि झगड़ेलू इतने थे कि निर्देशकों से इनके झगडे के किस्से आम हुआ करते थे और प्रेमी ऐसे कि अपने लाइफ पार्टनर को पहले ही भांप कर उनके साथ एक के बाद एक 13 फ़िल्में कर डाली। साफगोई तो ऋषि की सबसे ख़ास अदा थी, सीधा निर्देशकों को ये कहकर टोक देते थे कि मैं स्पोंटेनियस स्कूल का एक्टर हूँ मेथड एक्टर नहीं इसलिए हर शॉट पर एक ही तरह बने रहना मेरे लिए संभव नहीं है।

और तो और इंडिया टीवी होस्ट रजत शर्मा ने, ऋषि को एरोगेंट कहे जाने पर सवाल किया तो ऋषि साब ने बिना लाग लपेट के स्वीकारते हुए सीधा कहा अब मैं बाय बर्थ ही एर्रोगेंट हूँ तो क्या करूँ?” और ठीक उसके विपरीत स्वभाव का भी एक किस्सा ये है कि ऋषि साब को चिंटू नाम रखने पर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने इस नामकरण के पीछे की पूरी कहानी हँसते हुए बता दिया–वो कहते हैं- “मेरा नाम बड़े भाई रंधीर की जुबान पर चढ़ी इस पहेली से आया–छोटे से चिंटू मियाँ लम्बी सी पूंछ, जहाँ जाए चिंटू मियाँ वहां जाए पूंछ’। इन सब खासियतों और कमियों के साथ ऋषि ने एज अ हीरो एक शानदार पारी खेली और उन पर फिल्माए न जाने कितने गाने आज भी लोगों की ज़ुबान पर चढ़े हैं।

हालाँकि खाने और पीने के शौक़ीन ऋषि दा की शरीर ने उन्हें ज्यादा दिनों तक फिल्म का नायक तो नहीं बनने दिया लेकिन चरित्र अभिनय में चिंटू जी ने भरपूर हाथ अजमाया और सबको अपने प्रतिभा का लोहा मनवाया। जो लोग ऋषि कपूर की सफलता का श्रेय उनके पिता राज कपूर के खानदान से होने को मानते थे उन्हें बाद के दिनों में उन्होंने “राउफ लाला’, दउद, और हाउसफुल २ के कपूर ब्रदर्स में से एक बनकर अपने अभिनय से करार जवाब दिया था।

ऋषि साब ने रोमांस का एक दशक जिया था और करेक्टर अभिनय की सफलतम शुरुआत भी कर दी थी लेकिन प्रकृति को कुछ और ही मंज़ूर था। अभी हाल ही में अपने घर की बलकनी में खड़े होकर ऋषि दा पूरे जोश ओ खरोश के साथ थालियाँ बजाते हुए ज़िन्दगी के मज़े ले रहे थे लेकिन न जाने किस बुरी आत्मा की नज़र लग गयी शोमैन राज कपूर का पुत्र, दर्शकों का चहेता चिंटू हँसते खेलते यूँ पंचतत्व में विलीन हो गया कि लोग इसे एक डरावना सपना मानकर सुबह होने का इंतज़ार कर रहे हैं। ईश्वर ऋषि जी को अपने शरण में स्थान दे और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

 

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