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‘खूंखार जानवर हैं सिद्धू, उनसे दूर रहें’, रिहाई न होने पर ऐसा क्यों बोलीं नवजोत कौर

नई दिल्ली: क्रिकेटर से राजनेता बने और पंजाब के पूर्व पीसीसी चीफ नवजोत सिंह सिद्धू को 26 जनवरी के दिन जेल से रिहाई नहीं मिली। पहले संभावना जताई जा रही थी कि जेल में अच्छे कामों के लिए सिद्धू की बाकी की सजा माफ हो सकती है। लेकिन, 1988 में रोड रेज मौत केस में एक साल की सजा काट रहे सिद्धू को अभी रिहाई के लिए और इंतजार करना पड़ेगा। सिद्धू की रिहाई न होने को लेकर उनकी पत्नी नवजोत कौर ने भगवंत मान सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया है। सोशल मीडिया पोस्ट में नवजौत कौर ने लिखा- ‘सिद्धू खूंखार जानवर है, उनसे दूर रहें।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व पंजाब पीसीसी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू की 26 जनवरी के दिन रिहाई न होने को लेकर कांग्रेस पार्टी समेत उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू का भगवंत मान सरकार पर गुस्सा फूटा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शरशेर सिंह डुल्लो, पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी, पूर्व विधायक अश्विनी सेखरी, नवतेज सिंह चीमा समेत कई लोगों ने भगवंत मान सरकार को कायर कहा।

सिद्धू के आवास पर एकत्र हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि 26 जनवरी और 15 अगस्त को राज्यों द्वारा अच्छे व्यवहार वाले कुछ कैदियों को विशेष छूट दी जाती है। लेकिन ऐसा लगता है कि सिद्धू के खिलाफ पंजाब और केंद्र सरकार का ‘सिद्धूफोबिया’ अभी भी दूर नहीं हो पाया है। डुल्लो ने कहा, किसी भी कैदी को विशेष छूट न देकर सरकार ने न केवल सिद्धू बल्कि 50 कैदियों के साथ भी अन्याय किया है।

नवजोत कौर बोलीं- खूंखार जानवर है सिद्धू
उधर, सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर भगवंत मान से खासी नाराज नजर आई। उन्होंने ट्वीट करते हुए अपनी भड़ास निकाली। लिखा- “नवजोत सिद्धू एक खूंखार जानवर की कैटेगरी में आते हैं। इसी वजह से उन्हें आजादी के 75वें वर्ष में रिहाई की राहत नहीं दी जा रही है। सभी से गुजारिश है कि उनसे दूर रहें।” कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने ट्वीट किया, “प्रिय भगवंत मान, यह कायराना काम है कि आपने आज सिद्धू को रिहा नहीं किया! आपने नवजोत सिद्धू के प्रति न केवल घृणा और बदले की भावना का प्रदर्शन किया, बल्कि उन सभी कैदियों के खिलाफ भी, जिन्हें रिहा किया जा सकता था।”

गौरतलब है कि कई लोगों द्वारा यह उम्मीद की जा रही थी कि सिद्धू उन 50 कैदियों में शामिल होंगे, जिन्हें गणतंत्र दिवस पर विशेष छूट दी जा सकती है। हालांकि, रिहाई की उम्मीदें उस वक्त धूमिल हो गईं जब राज्य सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया।

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