बाड़मेर: योगगुरु बाबा रामदेव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस्लाम और नमाज को लेकर रामदेव ने आपत्तिजनक बातें कहीं हैं, जिस पर विवाद बढ़ सकता है। राजस्थान के बाड़मेर में एक बाबा रामदेव ने कहा कि इस्लाम में नमाज पढ़ने के बाद कुछ भी कर लेने की छूट दी जाती है। उन्होंने मुसलमानों के पहनावे और दाढ़ी-मूंछ तक पर भी टिप्पणी की है। उन्होंने ईसाई धर्म को लेकर भी टिप्पणी की और सनातन धर्म सिखाता है कि अच्छे से जीवन कैसे जीना चाहिए।
बाबा रामदेव ने कहा, ‘मुसलमान से पूछो कि धर्म क्या है। वह कहेगा कि पांच बार नमाज पढ़ो,फिर जो मन में आए करो। चाहे हिंदुओं की बेटी उठाकर लाओ। चाहे जो पाप भी करना है करो। वह इस्लाम का मतलब नमाज समझते हैं। नमाज जरूर पढ़ेंगे, क्योंकि उनको यही सिखाया गया है कि नमाज पढ़ो, बाकी जो करना है करो। आतंकवादी बनना है बनें, अपराधी घने बन गए। नमाज जरूर पढ़नी, नमाज पढ़ो और जो मन में आए करो। ऐसा हिंदु धर्म नहीं है। ईसाई क्या सिखाते हैं। चर्च में जाओ, ईसा मसीह के सामने खड़े हो जाओ सारे पाप नष्ट।’
बाबा रामदेव यहीं नहीं रुके। उन्होंने जहन्नुम का जिक्र करते हुए मुसलमानों के पहनावे पर भी टिप्पणी की और कहा कि वह पूरी दुनिया को इस्लामिक बनाना चाहते हैं। रामदेव ने कहा, ‘स्वर्ग का मतलब है, टखने के ऊपर पायजामा पहनो, मूंछ कटवा लो, टोपी पहन लो, ऐसा कुरान या इस्लाम कहता है, मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं। लेकिन ऐसा ही कर रहे हैं लोग। फिर तुम्हारी जन्नत में तुम्हारी जगह पक्की। जन्नत में हूर मिले। ऐसी जन्नत तो जहन्नुम से भी बेकार है। फिर भी लोग मूंछ कटवा रहे हैं और सिर पर टोपी रख रहे हैं, बस पागलपन है, इस्लाम… इस्लाम… महान। सारी दुनिया को इस्लाम में तब्दील करना है। लोग इसी चक्कर में पड़े हैं।’
रामदेव ने कहा कि सनातन धर्म अच्छे से जीवन जीना सिखाता है। उन्होंने कहा, ‘कोई कहता है कि पूरी दुनिया में इस्लाम में तब्दील करेंगे, कोई कहता है कि पूरी दुनिया को ईसाईयत में तब्दी करेंगे। मैं कहता हूं कि करके करोगे क्या यह तो बताओ, कोई अजेंडा नहीं है। सनातन धर्म का अजेंडा है, सुबह ब्रह्म मुहुर्त में उठो, सुबह उठकर भगवान राम का नाम लो, योग करो और अपने अराध्य धर्म की पूजा करके फिर कर्मयोग और अच्छे काम करो। यह हिंदु धर्म और सनातन धर्म सिखाता है। सनातन धर्म अच्छे से जीवन जीना सिखाता है। हमारे आचार-विचार में सात्विकता होनी चाहिए। लड़ाई झगड़ा, हिंसा, झूठ, बेइमानी नहीं करना।’