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अडानी ग्रुप को झटका, करमाइकल कोल माइन का करार रदद

मुंबई (एजेंसी)। देश की जानीमानी कंपनी अडानी ग्रुप को ऑस्ट्रेलिया में अपनी करमाइकल कोल माइन के डिवेलपमेंट के लिए माइनिंग सर्विसेज कंपनी डॉनर ईडीआई के साथ किया गया करार रद्द करना पड़ा है। गौतम अडानी के इस ग्रुप को यह झटका इसलिए लगा क्योंकि वह 13 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट के लिए फाइनेंसर्स से लोन मंजूरी हासिल नहीं कर सका। बात दे कि 2014 में अडानी ग्रुप ने अपनी करमाइकल माइन का ऑपरेशन ऑस्ट्रेलियाई कंपनी डॉनर को आउटसोर्स करने का निर्णय किया था। इसके ऐलान के वक्त इस डील की वैल्यू लगभग 2 अरब डॉलर आंकी गई थी।करार रद्द होने के बाद अब अडानी ग्रुप इस प्रोजेक्ट को खुद चलाएगा।अडानी ग्रुप को झटका, करमाइकल कोल माइन का करार रदद

अडानी ग्रुप ने एक बयान में कहा,पिछले सप्ताह एनएआईएफ के वीटो के बाद सप्लाई चेन में फ्लेक्सिबिलिटी और एफिशिएंसी सुनिश्चित करते हुए प्रॉडक्शन कॉस्ट कम रखने के विजन के मुताबिक अडानी ने ओनर ऑपरेटर बेसिस पर इस माइन को डिवेलप और ऑपरेट करने का फैसला किया है। यह प्रोजेक्ट कई विवादों में घिरा रहा है।

पिछले सप्ताह इसे एक बड़ा झटका तब लगा था,जब नवनिर्वाचित क्वींसलैंड सरकार ने इस प्रोजेक्ट से जुड़ी एक रेल लाइन के निर्माण के लिए सस्ती दरों पर 90 करोड़ डॉलर लोन देने के प्लान पर वीटो लगा दिया। यह लोन नॉर्दर्न ऑस्ट्रेलिया इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटी से आना था। यह इस प्रोजेक्ट के लिए अहम था क्योंकि अडानी ग्रुप कई बैंकों से फंड का जुगाड़ करने में जूझ रहा है। कई बैंकों ने पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण इस प्रोजेक्ट से दूर रहने का निर्णय किया है।

अडानी ने कहा कि ग्रुप और डॉनर ने सभी करार पारस्परिक रूप से रद्द कर दिए हैं और वह 31 मार्च 2018 तक ट्रांजिशनल असिस्टेंस देगी। बयान में कहा गया,अडानी करमाइकल प्रोजेक्ट को डिवेलप करने के लिए प्रतिबद्ध है। ग्रुप सर्वोच्च स्तर के मानक और गवर्नेंस सुनिश्चित करेगा। इससे हमारे संकल्प पर असर नहीं पड़ेगा और न ही क्वींसलैंड में लोकल जॉब्स की संख्या प्रभावित होगी। बयान में कहा गया,यह तो मैनेजमेंट स्ट्रक्चर में एक बदलाव भर है। इससे यह सुनिश्चित हुआ है कि माइन अंतत: टाउंसविल में हमारे अडानी ऑस्ट्रेलिया के कार्यालयों के जरिए चलाई जाएगी।’

शुरुआत से ही यह प्रोजेक्ट विवादों में रहा है। पर्यावरण को लेकर चिंता जताने वालों ने इस प्रोजेक्ट के चलते ग्रेट बैरियर रीफ को बड़ा नुकसान होने का अंदेशा जताया है। इस प्रोजेक्ट को अप्रूवल मिल गया था और इसमें करीब 800 लोगों को रखा भी गया है, लेकिन कंपनी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अडानी के ऑस्ट्रेलियाई कामकाज के चीफ एग्जिक्यूटिव ने अक्टूबर में कहा था कि चुनौतियों के बावजूद ग्रुप को इस माइन प्रोजेक्ट के साल 2020 तक प्रॉडक्शन शुरू कर देने का भरोसा है क्योंकि इसे भारत और ऑस्ट्रेलिया सरकारों का सपोर्ट हासिल है।

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